इन्फ्लैमेटरी बोल डिजीज (IBD) एक समृद्धि विकासी शरीर रोग हैं जो पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इस श्रृंगार रोग के मुख्य प्रकार क्रोह्न की बीमारी और अल्सरेटिव कोलाइटिस हैं। इन दोनों हालातों में आंत्र तंत्र की सूजन होती है, लेकिन इसमें सूजन की स्थान और प्रकृति में अंतर होता है।
- क्रोह्न की बीमारी:
- सूजन का स्थान: पाचन तंत्र के मुख्यांक मुख से गुदा तक कहीं भी हो सकती है, लेकिन सबसे अधिक आसीएम के अंत और कोलन की शुरुआत को प्रभावित करती है।
- सूजन का प्रकृति: सूजन प्रभावित बोल ऊतकों की ऊपरी परत में गहरा जा सकती है और यह पैची हो सकती है, जिसमें सामान्य क्षेत्र हो सकता है।
- अल्सरेटिव कोलाइटिस:
- सूजन का स्थान: मुख्य रूप से कोलन (बड़ा आंत) और शिग्रुपाथ में प्रभावित होती है।
- सूजन का प्रकृति: सूजन सामान्यत: गुदा से शुरू होती है और सीधे रूप से कोलन के अन्य हिस्सों को शामिल करने के लिए धीरे-धीरे फैल सकती है।
IBD के सामान्य लक्षण:
- पेट में दर्द और कब्ज़: पेट में स्थायी दर्द या असुख़ान की स्थिति।
- दस्त: अक्सर, ढीली बबूलेदार दस्त जो रक्त या श्लेष्म से भरा हो सकता है।
- वजन कमी: भूख में कमी और पोषण सोग से हो सकती है।
- थकान: थकान और ऊर्जा की कमी का अहसास।
- बुखार: कुछ मामलों में लौके बुखार।
- गुदा ब्लीडिंग: विशेषकर अल्सरेटिव कोलाइटिस में हो सकती है।
IBD के कारण:
IBD का ठीक कारण नहीं पता है, लेकिन इसे जेनेटिक, पर्यावरण, और इम्यून सिस्टम के कुछ कारकों का संयोजन माना जाता है। जेनेटिक्स, असामान्य इम्यून प्रतिक्रिया, और पर्यावरणीय प्रकार के कारक IBD के विकास में योगदान कर सकते हैं।
निदान और उपचार:
- निदान टेस्ट: कोलोनोस्कोपी, एंडोस्कोपी, रक्त परीक्षण, दस्त परीक्षण, और छवियों का अध्ययन निदान और सूजन की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए किए जा सकते हैं।
- दवाएँ :एंटी-इन्फ्लैमेटरी दवाएँ, इम्यूनोसप्रेसेंट्स, और बायोलॉजिक्स सामान्यत: लक्षणों को प्रबंधित करने और सूजन को कम करने के लिए उपयोग की जाती है।
- पोषण थैरेपी: कुछ व्यक्तियों को आहार में परिवर्तन या पोषण सप्लीमेंट्स से लाभ हो सकता है।
- सर्जरी: गंभीर मामलों में, हो सकता है कि निष्कृय के लिए सलाह दी जाए ताकि प्रभावित आंत्र क्षेत्रों को निकाला जा सके।
इन्फ्लेमेटरी बोल डिजीज (IBD) के आयुर्वेदिक उपचार
इन्फ्लेमेटरी बोल डिजीज (IBD) के आयुर्वेदिक उपचार में व्यक्ति के प्राकृतिक प्रकार और रोग की स्थिति का ध्यान रखा जाता है। यहां कुछ सामान्य आयुर्वेदिक सुझाव दिए जा रहे हैं, लेकिन इसे स्वास्थ्य पेशेवर की सलाह और मार्गदर्शन के बिना शुरू न करें:
- आयुर्वेदिक रस:
- कुमारी सार: आयलोवेरा का रस इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद कर सकता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में सहारा प्रदान कर सकता है।
- करेला का रस: करेले का रस शितोष्ण (ठंडक प्रदान करने वाला) गुण रखता है और पाचन तंत्र को सुधारने में मदद कर सकता है।
- आयुर्वेदिक गुण:
- हरिताकी चूर्ण: हरिताकी का चूर्ण पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है।
- शतावरी चूर्ण: शतावरी का चूर्ण शीतल, बृहण, और शीतोष्ण गुणों के कारण प्रशामक और पाचन तंत्र के लिए उपयुक्त हो सकता है।
- आयुर्वेदिक घृत:
- गुडूची घृत: गुडूची का घृत इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है और सूजन को कम करने में सहारा प्रदान कर सकता है।
- आहार और जीवनशैली:
- सत्ववाहन (सत्विक आहार): सत्विक आहार जैसे सात्विक भोजन का सेवन करना, जैसे कि स्वदेशी और सत्विक आहार, रोगी को शांति और सुखद भावना में मदद कर सकता है।
- नियमित व्यायाम: योग और प्राणायाम से रक्त संचार, सूजन कमी, और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
इन्फ्लैमेटरी बोल डिजीज (IBD) एक समृद्धि विकासी शरीर रोग हैं जो पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इस श्रृंगार रोग के मुख्य प्रकार क्रोह्न की बीमारी और अल्सरेटिव कोलाइटिस हैं।
1 thought on “3. Inflammatory Bowel Disease (IBD) रोग क्या है और इसका उपचार क्या है?”